मेरे उड़ते.. बाजों का

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babulal sharma
चिड़ीमार मत काँव काँव कर,
काले काग रिवाजों के।
वरना हत्थे चढ़ जाएगा,
मेरे  उड़ते  बाज़ों के।
बुज़दिल दहशतगर्दो सुनलो,
देख थपेड़ा ऐसा भी।
और धमाके क्या झेलोगे,
मेरे यान मिराजों के।

तू जलता पागल उन्मादी,
देख भारती साजों से।
देख हमारे बढ़े कदम को,
उन्नत सारे काजो से।
समझ सके तो रोक बावरे,
डीठ पिशाची वृत्ति को।
बचा सके तो बचा कागले,
मेरे  उड़ते  बाज़ों  से।

काग पिशाची संग बुला ले,
चीनी मय सब साजों के।
नए हौंसले देख हमारे,
शासन के सरताजों के।
करें हिसाब पुराने सारे,
अब आओ तो सीमा पर।
पंजों में फँस कर तड़पोगे,
मेरे  उड़ते   बाजो  के।

हमने भेजे खूब कबूतर,
.          पंचशील आगाजों का।
हम कहते थेे धीरज रख तू,
…       खून पिये परवाजों का।
तू मानें यह थप्पड़ खाले,
.       अक्ल तुझे  आ जाए तो।
यह तो बस है एक झपट्टा,
.          मेरे  उड़ते  बाजों  का।

हमला झेल सके तो कहना,
.          रण बंके  जाँबाजों का।
सिंहनाद क्या सुन पाएगा,
.         रण के बजते बाजों का।
पहले मरहम पट्टी करले,
.        तब जवाब भिजवा देना।
फिर से भेजें ? श्वेत कबूतर,
.        देखें  हाल  जनाजों  का?

काशमीर जो स्वर्ग भारती,
.            घाटी है शहबाजों की।
डल तो पुण्य सरोवर जिसमेंं,
.        चलती किश्ती नाजों की।
कैसे दे  दूँ  केशर क्यारी,
.               यादें  तेरी  अय्यारी।
होजा दूर निगाहों से तू,
.             मेरे  उड़ते  बाजों की।

जिसमें यादें बसी हुई है,
.       अब तक भी मुमताजों की।
सैर सपाटे करते जिसमें,
.              राजा व महाराजों की।
काशमीर को जला सके क्या,
.           भीख मिले हथियारों से।
निगाह तेज है,भाग कागले,
.             मेरे  उड़ते  बाज़ों  की।

हमने तो बस मान दिया था,
.             दबी हुई आवाजों को।
दिल से हमने साथ दिया था,
.             तुम जैसे नासाज़ों को।
तूने शांत राजहंसो सँग,
.              सोये  सिंह जगाए हैं।
तूने क्रोधित कर डाला है,
.            मेरे  उड़ते  बाज़ों  को।

यह है भारत वर्ष जहाँ पर,
.         आदर सभी समाजों को।
चश्मा रखकर देख बावरे,
.         सादर सभी मिजाजों को।
आसतीन के नाग तुम्हारे,
.           तुमको जहर पिलाते है।
खूब दिखाई देतें हैं ये,
.             मेरे  उड़ते  बाज़ों को।

खुद का पिछड़ापन दूर करो,
.             बचो कबूतरबाजों  से।
वरना हम तो लेना जाने,
.        मूल सहित सब ब्याजों से।
मानव हो मानवता सीखो,
.           समझो भाव कुरान  का।
पाक उलूक बचा ले पंछी,
.               मेरे  उड़ते  बाज़ों  से।

आगे बढ़ना सीख सपोले,
.           मंथन  सभी सुराजों  से।
पहले घर मे निपट खोड़ले,
.             उग्र  दीन  नाराजों  से।
सीख हमारे मंदिर मस्जिद,
.             गीता गीत  कुरान को।
नहीं बचेंगे आतंकी अब,
.               मेरे  उड़ते  बाज़ों  से।

शर्मा बाबू लाल लिखे हैं,
.             छंद चंद अलफाजों पे।
करूँ समर्पित लिख सेना के,
.            पवन वीर  जाँबाजो पे।
याद करें हम पवन पुत्र के,
.       पवन वेग अरु दिनकर की।
बहुत नाज रखता है भारत,
.             मेरे   उड़ते  बाज़ो   पे।

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

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