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ब्रह्मचारिणी देवी माँ
नवदुर्गा रूप है माँ
भक्तो को वर देती माँ
भक्ति हमे दीजिये।।1।।
जप माला दाएं हाथ
कमंडल बाएं हाथ
करती है घोर तप
दर्शन तो दीजिये।।2।।
माँ दुर्गा का दूजा रूप
साधारण है स्वरूप
लगता है तेज पुंज
शक्ति हमे दीजिये।।3।।
करे जो ध्यान इनका
होता उद्धार उसका
माता है ममतामयी
आराधना कीजिये।।4।।
तप त्याग में वृद्धि हो
धन धान्य समृद्धि हो
ब्रह्मचारिणी देवी माँ
ज्ञान हमे दीजिये।।5।।
कुंडलिनी जागृत हो
शक्ति का समागत हो
बाधाए सब दूर हो
शक्ति दान दीजिये।।6।।
देती हमे भक्ति ज्ञान
करती दुष्ट संधान
सिद्धि हमें देने वाली
माँ का ध्यान कीजिये।।7।।
अपर्णा तपश्चारिणी
तापत्रय निवारिणी
ज्योतिर्मय स्वरूप है
मातृ पूजा कीजिये।।8।।
परिचय
नाम- डॉ एन के सेठी
वर्तमान पता-बाँदीकुई(दौसा)राजस्थान
राज्य-राजस्थान
शहर- बाँदीकुई
शिक्षा-एम ए(संस्कृत,हिंदी),एम फिल, पीएच डी,साहित्याचार्य
कार्यक्षेत्र-कॉलेज शिक्षा
विधा -काव्य
प्रकाशन-100 से अधिक कविताएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं व साझा काव्य संग्रहों में प्रकाशित,लगभग 15 से अधिक शोधपत्र विभिन्न राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित
ब्लॉग-
अन्य उपलब्धियाँ- लगभग 15 से अधिक व्याख्यात्मक पुस्तके प्रकाशित
लेखन का उद्देश्य-स्वान्तःसुखाय
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Tue Apr 9 , 2019
जय अंबे, जय जगदम्बे ,माता शेरों वाली। रे मन! ले जा उन गलियों में मुझे, जहाँ रहती ज्योतावाली।। है वो ही सुख दायिनी मैया, दुविधा हरने वाली। नेत्रहीन की आंखों में भी, नवज्योति भरने वाली।। रे मन! ले जा उन गलियों में….. जय अंबे, जय जगदंबे, माता शेरों वाली। रे […]