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तुम लाशें बिछाते रहो,
हमअर्थी उठायेंगे ;
तिरंगे का कफन देकर,
वंदे मातरम गायेंगे |
समूचा भारत उजाड़ दो,
पर हाथ नहीं उठायेंगे ;
भले ही मर जायें,
पर शांति दूत कहायेंंगे |
गाै की पूजा करके ,
गाै ही बने रहेंगे ,
तुम्हारी सोच मे खोट है ,
कि लोग हमें बैल कहेंगे |
रिमोट वाले को छोड़ दो,
छप्पन में भी कहाँ दम हैं ;
आतंकी कितने ही मरे ,
पर होते तो हम भी कम हैं |
कारण की क्या बात कहूँ,
दूर तलक दिखता ही नहीं ;
चींटी भी हँसने लगी ,
हाथी तो बेदम है ||
#अशोक महिश्वरे
गुलवा बालाघाट म प्र
#परिचय
नाम -अशोक कुमार महिश्वरे
पिता स्वर्गीय श्री रामा जी महिश्वरे
माता स्वर्गीय शकुंतला देवी महिश्वरे
जन्म स्थान -ग्राम गुलवा पोस्ट बोरगांव, तहसील किरनापुर जिला बालाघाट मध्य प्रदेश
शिक्षा स्नातकोत्तर हिंदी साहित्य एवं अंग्रेजी साहित्य ,बीटीआई व्यवसाय :मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर वर्तमान में शासकीय प्राथमिक शाला टेमनी तहसील लांजी जिला बालाघाट मध्य प्रदेश में पदस्थ हूँ
लेखन विधा गद्य एवं पद्य
प्रकाशित पुस्तकें: प्रकाश काधीन १/साझा काव्य संग्रह २/नारी काव्यसंग्रह
प्रकाशक साहित्य प्रकाशन झुंझुनू राजस्थान
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Sat Feb 16 , 2019
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