माँगा सुख था मिला दुख मुझे, जग में ऐसी बदहाली है | जिन्दगी भर कमाया मगर, हाथ दोनों ही खाली है || तुझको दुख है, दुखी मै भी हूँ; दोनों आँखों में आँसू भरें | दामन फैलाये दर पर खड़े; सारे धन के सवाली हैं ||.. मेरा मन आशाओं की […]

खंजर दिल में लेें चलें ,घूम रहा बेबात | कब मारे किसको पता,”माही” मानव तात ||१|| दिल में कितना दर्द है, नाप सके जो कोय | खुद भी एकाकार जो,मानव ऐसा होय ||२|| बेचारी की बेबसी,तनिक ठहरकर झाँक | बुरी नजर से क्यों रहा,दुर्नर उसको ताक ||३|| मनु तेरी यहाँ सद्गति,तब […]

वंदन है माँ भारती,रज चरणन की आस | दूर कभी करना नहीं, नित ही रहना पास ||१|| जग जंगल हिंसक यहाँ,नखधारी सब ओर| रक्छा करना मात तुम,तन-मन-धन सब कोर ||२|| मनसा वाचा कर्मणा,दिल दुखे नही और| मै तो नित पलता रहूँ ,चरणन शीतल ठौर ||३|| नाच उठी सारी धरा,तू जब […]

तुम लाशें बिछाते रहो,  हमअर्थी उठायेंगे ;  तिरंगे का कफन देकर,  वंदे मातरम गायेंगे | समूचा भारत  उजाड़ दो,  पर हाथ नहीं उठायेंगे ;  भले ही मर जायें, पर शांति दूत कहायेंंगे | गाै की पूजा करके , गाै ही बने रहेंगे , तुम्हारी सोच मे खोट है , कि […]

गलियों में लुटती है इज्जत,  रोज-रोज ही नारी की | कहीं जला कर फेंकी जाती,  दुर्गति है बेचारी की | सत्ता के शीशे पर चेहरा,  देख-देख तुम मुस्काते |  ताज सजाया सिर पर तेरे,  पीट-पीट माथा पछताते |  जाति-धर्म का विष फैलाना , तुम लोगों का व्यापार बना |  सत्ता […]

आरक्षण के नाम से, देश हो गया तंग | रोटी अपनी सेंकते, सत्ता बनी मतंग ||१|| जाति नाम रक्षण करें, नहीं गरीबी ध्यान |  कितने ही खंजर भरे,सत्ता एकहि म्यान ||२|| आरक्षण को मेट दो, मिले ज्ञान को मान | आगे तब ही देश बढ़े,बढ़े वतन जग शान ||३|| सत्ता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।