कुछ हैं मेरे सपने,
कुछ सच्चे,कुछ कच्चे..
कुछ खट्टे,कुछ मीठे,
कुछ सिमटे,कुछ बिखरे।
कुछ अनमने,कुछ अनकहे,
कुछ दिखलाते,कुछ धुंधलाते..
कुछ कराहना,कुछ मुस्कुराते,
कुछ आते,कुछ जाते।
समेटना चाहूँ,तो मुमकिन नहीं,
सपनों ने ही बिखेरा है मुझको..
आस और आस,न रहा कोई पास,
रुक-रुक के आते हैं।
बवंडर-सा मचा जाते हैं,
कभी खेलते हैं मुझसे..
कभी नचाते हैं मुझको,
एक पूरा होता नहीं,दूसरा सामने।
कहीं धकेलता,कहीं बुलाता पास,
कभी अचेतन मन में खुशी भरता है
कोई रह-रह के याद आता,
कोई कहीं यूँ ही गुम जाता है।
रुकना ये जानता नहीं,
चल मेरे बिना यह सकता नहीं..
संभलता नहीं,गिरता नहीं,
रुकता नहीं बिखरता नहीं।
हर एक सपना कुछ कहता,
कभी आशा-कभी निराशा..
कभी खुशी-कभी गम,
कभी अपनी ही आत्मा से मिलन
तो कभी परमात्मा से मिलन।
कुछ अनुभव,कुछ आभास
कहीं पुरानी यादें,कहीं वर्तमान,
कहीं भविष्य की उड़ान…।
परिचय : सहायक प्राध्यापक (पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान) डॉ. किशोर जॉन मध्यप्रदेश के इंदौर में ही रहते हैंl वर्तमान में विशेष कर्त्तव्य अधिकारी के पद पर अतिरिक्त संचालक(उच्च शिक्षा विभाग,इंदौर संभाग) कार्यालय में इंदौर में पदस्थ हैंl पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान सहित वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रबंध में आप स्नातकोत्तर हैंl आपको 23 वर्ष का शैक्षणिक एवं प्रशासकीय अनुभव है तो, राष्ट्रीय-अन्तराष्ट्रीय स्तर पर 30 से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत एवं प्रकाशित किए हैं, एवं 3 पुस्तकों के सम्पादक भी रहे हैंl
Jai Ho Guru Ji
Sir kavita bahut shandar lagi.. for new passion