“आड़”

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–वह आज राकेश को कोठी पर मैडम जी के पास लेकर जाएगी वही कुछ समझाएंगी तो ठीक रहेगा.
दसवीं में फेल क्या हुआ पढ़ाई  छोड़कर बैठ गया..आवारा दोस्तों में उठ बैठकर ढीठ सा हो गया है..
सुमन खटिया पर लेटे-लेटे इसी उधेड़बुन में थी.
तभी ऊंघता हुआ सोहन पास आकर बोला-ना तो ये मेरा साथ देवै है अर ना ही कपड़े प्रैस कराने में तेरी कोई मदद करे है..अठारह बरस का मरद होरा है..सरम तो हैइ ना इसने..तेरे लाड़ की आड़ मेंइ यो बरबाद हो रओ है..जब तब पइसे पकड़ाए देत है..
जाड़े की संध्या अंधेरे से हाथ मिला रही थी..फटियल स्वेटर पर मैली सी गरम चादर ओढ़ गले में मफलर लपेटे सोहन अपनी मूंगफली,गजकऔर रेवड़ी की ठेली सरकाता हुआ
सामने से आते बेटे को देख ठिठककर बोला-ले तू ही ले जा आज ठेली…हमरा बदन पिराय रओ है आज.
-हम ना करिबैं अइसा काम…हुंह
-हमका चार सौ रूपया चाहिये…फिलम देखे खातिर..चिकन बिरयानीभी खाएंगे … जल्दी दे दो पइसे.
-नहीं हैं हमरे पास पइसा..जा..
कामचोर कहीं का…खुद कमा ..
–तराजू बाट हाथ में ले ताबड़तोड़ वार करते हुए जाते जाते पिता की जेब से नोट खींचकर भागते हुए राकेश ने एक बार फिर मुड़कर  पिता के सिर पर भारी बाट दे मारा..
लहुलुहान शरीर लड़खड़ाकर गिरा तो उठ ही ना सका.
बेसाख्ता चीख पुकार कर रही सुमन का सिर बुरी तरह चकराने लगा था.उसे अपने आसपास घिर आई तमाशबीन भीड़  में से परस्पर खुसुर फुसुर के स्वर सुनाई दे रहे थे-जाकी महतारी नेइ सिर चढ़ा रखो थो जादा ..जाके लाड़ की आड़ मेंइ यो बरबाद हो रओ है .हतायारा यूंई ना बनो री..
#डा.अंजु लता सिंह 
नई दिल्ली
 रचनाकार पूरा नाम-डा. अंजु लता सिंह
पिता का नाम-डा. विजयपाल सिंह
माता का नाम-सरस्वती देवी
पति का नाम -श्री देवेन्द्र सिंह गहलौत
शिक्षा-एम .ए , पी एच. डी ,बी.एड
 व्यवसाय-अध्यापन
प्रकाशित रचनाओं की संख्या-लगभग-240
प्रकाशित रचनाओं का विवरण :—–
प्रकाशित पुस्तकें-
1. स्व.फणीश्वरनाथ रेणु के आंचलिक उपन्यासों के परिप्रेक्ष्य में संपूर्ण कथा साहित्य का विशेष अध्ययन .
2. काव्यांजलि(बाल कविता संग्रह )
3.सारे जमीं पर (जीवन मूल्यों से जुड़ी कविताओं का संकलन)
4. ‘उजाले की ओर’पुरस्कृत एवं प्रकाशित नाटिका
(कारगिल विजय के संदर्भ में)
5.’बिन पानीसब सून’
नुक्कड़ नाटिका जल मंत्रालय,नई दिल्ली द्वारा पुरस्कृत
6.श्री घमंडीलाल अग्रवाल जी द्वारा संपादित ग्यारह पुस्तकों में क्रमशः10बाल कविताएं एवं एक बाल कथा प्रकाशित .
7.’सारे जमीं पर’ (बाल कविता संग्रह )प्रकाशित
8.लगभग 240रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित
9.फेसबुक से संबद्ध विभिन्न साहित्यिक मंचों पर लगभग 38 सम्मानपत्र (कुछ पुरस्कृत भी )प्राप्त
2004 से 2017 के अंतराल में चार बैस्ट टीचर अवार्ड से सम्मानित ।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।