अपनों से क्यों रुठी हो

0 0
Read Time2 Minute, 32 Second

sudha

अपनों से क्यों रुठी हो,
अब मान भी जाओ गौरैया..
नन्हें-मुन्ने तुम्हें बुलाते,
मेरे आँगन आओ गौरैया।

दादी कहती रोज कहानी,
जिसमें होती गौरैया..
दादू रखते दाना-पानी,
बाग-बगीचे और मुंडेरे।

छज्जे ऊपर डब्बा टांगा,
पानी का सकोरा बाँधा..
चावल के दाने बिखराए,
रहने आजा गौरैया।

अपनों से क्यों रुठी हो,
अब मान भी जाओ गौरैया..।

                                                                           #डॉ.सुधा चौहान ‘राज

परिचय: डॉ.सुधा चौहान ‘राज का जन्म दमोह (म.प्र) में हुआ है| आपने मनोविज्ञान व दर्शन शास्त्र से स्नातक सहित इतिहास और संस्कृत से स्नातकोत्तर, वेदाचार और सनातन  कर्मशास्त्र में डिप्लोमा हासिल किया है| तीस साल से महिलाओं एवं बालक-बालिकाओं के परामर्श का अनुभव है| ‘बाल गीता’, सर्वोच्च सफलता के सात कदम’,उपन्यास ‘महोबा’,’दुर्गासप्तसती हिन्दी काव्य खंड’, बाल कहानी संग्रह ‘मित्रता की ताकत, खरगोश की चतुराई, कविता संग्रह’ और ’उपन्यास’ आदि प्रकाशित हुए हैं| विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित होती हैं| आकाशवाणी से भी लगातार प्रसारण जारी है| २ फिल्मों में पटकथा लेखन भी किया है। आपकी पुस्तक ‘बालगीता’ एवं ‘सर्वोच्च सफलता के सात कदम का’ अंग्रेजी में अनुवाद सेन फ्रांसिसको (अमेरिका) में हुआ है। इंदौर निवासी डॉ. चौहान को  ‘बाल गीता’ के लिए पदक से सम्मानित किया गया है| ऐसे ही ’हिन्दी सेवा सम्मान’,‘नारी चेतना की आवाज’ सहित ‘कृति सुमन सम्मान’ आदि भी प्राप्त हुए हैं| आपको ‘विद्यावाचस्पति’ की उपाधि भी मिली है| वर्तमान में आप गीता इंटरनेशनल सोसायटी की राष्ट्रीय अघ्यक्ष व  इंदौर लेखिका संघ की कार्यकारिणी सदस्य हैं|  फिल्म राइटर्स एसोसिएशन  बाम्बे’ की भी सदस्य  हैं|

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

टेमरु....

Fri Mar 24 , 2017
बेचने आई नीरु, पीले-पीले टेमरु। स्वाद लगे रसीला, जैसे खा रहे चीकू। देखकर बोला वीरु, माँ ले लो आए टेमरु। रसना नाच दिखाती, दांत आए दिखलाऊं। इसके नाम बतलाऊं, खिरनी,तेंदूफल,टेमरु। फागुनी बसंत में आए, मनभावन प्यारा टेमरु। (म.प्र. के धार जिले में ‘मांडव का मेवा’ नाम से प्रसिद्ध है तेंदूफल, खिरनी, […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।