अपनों से क्यों रुठी हो

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sudha

अपनों से क्यों रुठी हो,
अब मान भी जाओ गौरैया..
नन्हें-मुन्ने तुम्हें बुलाते,
मेरे आँगन आओ गौरैया।

दादी कहती रोज कहानी,
जिसमें होती गौरैया..
दादू रखते दाना-पानी,
बाग-बगीचे और मुंडेरे।

छज्जे ऊपर डब्बा टांगा,
पानी का सकोरा बाँधा..
चावल के दाने बिखराए,
रहने आजा गौरैया।

अपनों से क्यों रुठी हो,
अब मान भी जाओ गौरैया..।

                                                                           #डॉ.सुधा चौहान ‘राज

परिचय: डॉ.सुधा चौहान ‘राज का जन्म दमोह (म.प्र) में हुआ है| आपने मनोविज्ञान व दर्शन शास्त्र से स्नातक सहित इतिहास और संस्कृत से स्नातकोत्तर, वेदाचार और सनातन  कर्मशास्त्र में डिप्लोमा हासिल किया है| तीस साल से महिलाओं एवं बालक-बालिकाओं के परामर्श का अनुभव है| ‘बाल गीता’, सर्वोच्च सफलता के सात कदम’,उपन्यास ‘महोबा’,’दुर्गासप्तसती हिन्दी काव्य खंड’, बाल कहानी संग्रह ‘मित्रता की ताकत, खरगोश की चतुराई, कविता संग्रह’ और ’उपन्यास’ आदि प्रकाशित हुए हैं| विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित होती हैं| आकाशवाणी से भी लगातार प्रसारण जारी है| २ फिल्मों में पटकथा लेखन भी किया है। आपकी पुस्तक ‘बालगीता’ एवं ‘सर्वोच्च सफलता के सात कदम का’ अंग्रेजी में अनुवाद सेन फ्रांसिसको (अमेरिका) में हुआ है। इंदौर निवासी डॉ. चौहान को  ‘बाल गीता’ के लिए पदक से सम्मानित किया गया है| ऐसे ही ’हिन्दी सेवा सम्मान’,‘नारी चेतना की आवाज’ सहित ‘कृति सुमन सम्मान’ आदि भी प्राप्त हुए हैं| आपको ‘विद्यावाचस्पति’ की उपाधि भी मिली है| वर्तमान में आप गीता इंटरनेशनल सोसायटी की राष्ट्रीय अघ्यक्ष व  इंदौर लेखिका संघ की कार्यकारिणी सदस्य हैं|  फिल्म राइटर्स एसोसिएशन  बाम्बे’ की भी सदस्य  हैं|

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