मेरी प्यारी-प्यारी मां,
सब रिश्तों से न्यारी मां।
जन्म दिया इसने मुझको,
मुझको पाला-पोसा है..
लाख गलतितों पर भी,
कभी न दिल से कोसा है।
मेरे सुख में हंसे-हंसाय,
मेरे दुःख में रोती है..
कठिन मुसीबत में भी,
कभी न धीरज खोती है।
न तो ऐसी न तो वैसी,
पूरी-पूरी देवी जैसी..
मां न होती हम न होते,
मां तो एक वरदान के जैसी।
यह न मांगे हीरे-मोती,
नहीं तो पैसे सोना-चांदी..
ठेस लगे जब दिल को,
छुप-छुप के यह रोती।
इसे अकेला नहीं छोड़ना,
तन्हाई से डरती मां..
दिल न इसका कभी तोड़ना,
दुःख की आहें भरती मां।
कैसे इसका कर्ज चुकाऊं?
मातृ-ऋण से मुक्ति पाऊं..
मां को शत-शत शीश नवाऊं,
सिद्द मनोरथ तब मैं पाऊं।
मेरी प्यारी-प्यारी मां,
सब रिश्तों से न्यारी मां..
#राजबाला ‘धैर्य’
परिचय : राजबाला ‘धैर्य’ पिता रामसिंह आजाद का निवास उत्तर प्रदेश के बरेली में है। 1976 में जन्म के बाद आपने एमए,बीएड सहित बीटीसी और नेट की शिक्षा हासिल की है। आपकी लेखन विधाओं में गीत,गजल,कहानी,मुक्तक आदि हैं। आप विशेष रुप से बाल साहित्य रचती हैं। प्रकाशित कृतियां -‘हे केदार ! सब बेजार, प्रकृति की गाथा’ आपकी हैं तो प्रधान सम्पादक के रुप में बाल पत्रिका से जुड़ी हुई हैं।आप शिक्षक के तौर पर बरेली की गंगानगर कालोनी (उ.प्र.) में कार्यरत हैं।
ममता का निचोड़।सुन्दर कविता।