सी०आर० बनाम सियार

0 0
Read Time1 Minute, 53 Second
ashok kumar dhoriya
वरिष्ठ अधिकारी  नवनियुक्त सिपाही से कहता है आज  आपको सी० आर० लेकर दिल्ली जाना है। सिपाही -श्रीमान जी, क्या मुझे अकेले जाना है वहाँ ?   अधिकारी -“हाँ अकेले जाना है तुम्हे ।” सिपाही  -नहीं ;  श्रीमान जी मैं सी०आर० लेकर नहीं जाऊँगा। वरिष्ठ अधिकारी-“आप अभी भर्ती होकर आए हो और आपकी इतनी हिम्मत ! वरिष्ठ अधिकारी के आदेश की अवहेलना कर रहे हो। आपको सी०आर० लेकर  जाना होगा ।” सिपाही – श्रीमान जी, मैं सी० आर० लेकर बिल्कुल नहीं जाऊँगा।” वरिष्ठ अधिकारी – “आपको सी० आर० लेकर अवश्य जाना होगा ,वर्ना आपको कठोर सज़ा दी जाएगी।” सिपाही-श्रीमान जी, मैं सज़ा भुगतने को तैयार हूँ लेकिन सी०आर० लेकर नहीं जाऊँगा। वरिष्ठ अधिकारी-आपको आखरी मौका दे रहा हूँ ,आप सी० आर० लेकर जाइए ।सिपाही-श्रीमान जी ,मैं नौकरी छोड़ सकता हूँ लेकिन सी०आर० लेकर नहीं जाऊँगा।   वरिष्ठ अधिकारी ने एक दूसरे सिपाही को उसके पास भेजा कि इनसे कारण पूछिए कि ये सी०आर० लेकर क्यों नहीं जाना चाहता ? तब दूसरे सिपाही ने पूछा-भैया , आप सी०आर० लेकर क्यों नहीं जाना चाहते ? उसने जवाब दिया -सियार खा जाएगा । जब अधिकारी को इस बात का पता चला कि सिपाही( सी०आर० )कैश रिपोर्ट को सियार (गीदड़) समझ रहा है तब वह खूब हँसा ।
परिचय:-
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

।।गोधूलि बेला।।

Mon Nov 26 , 2018
स्वर्णिम आभा बिखेरते हुए सूरज ने किया श्रृंगार रम्भाति गायो के झुंड में लौट आई शक्ति अपार धूल उडाती पगडंडी और पक्षी करते मनुहार लो आ गई गोधूलि बेला गीत गाओ हजार मंदिरो में बजती घंटी और चोखट पर है इंतजार लो आ गई गोधूलि बेला करो दिल से सत्कार। […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।