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अरे ओ मुसाफिर
जरा सम्भल कर चल
ठोकर लग जायेगी
नजरे झुकाकर चल
सर उठा कर चलने वाले
हम भी खड़े हैं राह मे
जरा नज़रे मिलाकर चल
गुरूर में हीं एक दिन
ज़िन्दगी थम जायेगी
ज़िन्दगी है दो पल की
सबको निभा कर चल
आज तेरे पास है
कल शायद हो ,न हो
राह में खड़े भिखारी से
हाथ मिला कर चल
अभी, सब है तेरे पास
मगर, होश नही है
होश मे आकर
जरा नजरे गड़ाकर चल
ठोकर दी जिस पत्थर ने
उसे माथे लगाकर चल
रास्ता कर ले आसान
सर उठाने के क़ाबिल हो सके
है ज़िन्दगी का तर्जुबा
इसे आजमा कर चल
अरे ओ मुसाफिर
चिन्ता में क्यों डुबा है
हमको भी साथ लेकर
जरा मुस्कुराकर चल
#धनराज वाणी
परिचय-
श्री धनराज वाणी ‘उच्च श्रेणी शिक्षक’ हाई स्कूल उबलड विकास खण्ड जोबट जिला अलिराजपुर में 30 वर्षो का सेवाकाल (मूल निवास जोबट)
जन्म स्थान जोबट(मध्यप्रदेश)
पत्नि का नाम -कविता वाणी (प्राचार्य )इनकी भी साहित्य में रुचि व महिला शसक्तीकरण के क्षेत्र में कार्य व आकाशवाणी मे काव्य पाठ किया
2.शिक्षा-एम.ए.बी.एड.(समाजशास्त्र)
3.रुचि-साहित्य व रचनाकार
विषय-वीरस,चिंतन,देशभक्ति के गीत व कविताओं की रचना
4.उपलब्धियां-आकाशवाणी इंदौर से 7 बार काव्य पाठ किया व स्थानीय,जिलास्तरीय व अखिल भारतीय मंचो से भी काव्यपाठ किया!
वर्तमान में अर्पण कला मंच जोबट मे साहित्य प्रकोष्ठ का प्रभार है.
5.बचपन से साहित्य के प्रति रुचि व हिन्दी के प्रति प्रेम
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Fri Nov 16 , 2018
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