प्रकृति,पर्यावरण,परिवेश तीन शब्दों का आलिगंन हो तीनो है एक……………. बस इसे समझने का मन हो प्रकृति में सारी……. धरती,आकाश,वायु समाई है पर्यावरण ने ………. हाँ,इनकी सुंदरता बढ़ाई है परिवेश से……….. संस्कृति का पता होता है इन तीनो के संगम से दुनिया मे अमृत बरसता है प्रकृति के बनें  मित्र पर्यावरण […]

कब रुकेगा नरसंहार खूनी खेल कब रुकेगा मानवता के आगे,शीश पापियों का कब झुकेगा जीने का अधिकार है चाहे चींटी हो या हाथी खूनी खंजर रोक लो चाहे दुश्मन हो या साथी कोई हाथ जोड़ खड़ा है कोई शीश झुकाता है कोई अरदास लगाता कोई हाथ फैलाता है न सीमा […]

मैं कितना हरा-भरा था छाया में तुम मेरी रहते थे पाकर मेरी शीतलता ठंडी-ठंडी आहे भरते थे ……………… ….. चांदी जैसी चमकीली बूंदे मेरे तन पर रहती थी कल- कल  नदी की धारा मेरे चरणों में बहती थी ………………. कितने सुखद पल थे वाे जब पक्षी वहा मंडराते थे थके […]

पैसो का दान करतें हो शिक्षा का भी दान करों जो भी है पास तुम्हारें  झोली किसी की भरो दो वक्त की रोटी तो कही से भी जुटा लेंगे शिक्षा होगी पास में परिवार भी चला लेंगे भटकेगे न इधर-उधर पुस्तकों में ज्ञान भरा है अनुभव में ही  शिक्षा है […]

“लिये है सात फेरें सात वचनो को निभाऊँगी जाओगें जब सरहद पर आँसू नही बहाऊँगी तुम लौटकर आओ तो हाथों में तिरंगा रखना खाली नहीं आना…. चाहे तिरंगा ओढ़़कर आना” ………………………… किया था तुमने वादा वादा है तुमने निभाया सीने पर खाकर गोली वतन को अपने बचाया उजड़ा है सिन्दुर […]

धर्म अलग हो सकते है किंतु इन्सान वही है जो इन्सान को ही बाँट दें वह ‘धर्म’ नहीं है, कोई ‘नमाज’ पढ़े कोई ‘यज्ञ ‘करे ‘हाथ ‘ वही है, सर झुकाओ या घुमाओ ब्रह्माण्ड वही है धूप वही है,छांव  वही है ‘पूजा’ करो या ‘इबादत’  इन्सान वही है, चलकर देखो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।