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सुना है वो अपने संघर्षो को ,
अपनी शान बना लेता है ।
खुद भूखा रहके सबको खिलाने का हुनर ,
उसे किसान बना लेता है ।।
अगर किसान चाहे तो वह भी ,
अपना सकता कोई और फन ।
पर इसी माटी का लाल है,वो अपनी मेहनत से ,
सबको मालामाल बना देता है ।
खुद भूखा रहके सबको खिलाने के हुनर ,
उसे किसान बना लेता है ।।
आज राजनीति में रहकर ,
औकात बताते है उन्हें मैं कह दू ।
किसान मेहनत से कमाकर हराम की कमाई को ,
पैरो की धूल बना देता है ।
खुद भूखा रहके सबको खिलाने का हुनर ,
उसे किसान बना लेता है ।।
दिन और रात एक करके किसान ,
फसलों को पसीने से सींचता है ।
गरीबी से मरते देश के किसान,महंगाई का जमाना
किसान को लाचार बना देता है ।
खुद भूखा रहके सबको खिलाने का हुनर ,
उसे किसान बना लेता है ।।
किसान होता है देश का अन्नदाता ,
क्यों शासन उसे शिकार बनाता है ।
जब नहीं मिल पाता किसान के पसीने का मोल ,
तो मौत के फंदे को गले लगा देता है ।
खुद भूखा रहके सबको खिलाने का हुनर ,
उसे किसान बना लेता है ।।
मेहनत तो किसान खूब करते है ,
“जसवंत” मदद का बीड़ा उठाता है ।
कोई किसान हार ना जाये जिंदगी के सफर में ,
यह ख्याल मुझे रुला देता है ।
खुद भूखा रहके सबको खिलाने का हुनर ,
उसे किसान बना लेता है ।।
नाम – जसवंत लाल बोलीवाल ( खटीक )
पिताजी का नाम – श्री लालूराम जी खटीक ( व.अ.)
माता जी का नाम – श्रीमती मांगी देवी
धर्मपत्नी – पूजा कुमारी खटीक ( अध्यापिका )
शिक्षा – B.tech in Computer Science
व्यवसाय – मातेश्वरी किराणा स्टोर , रतना का गुड़ा
राजसमन्द ( राज .)
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