जानता हूँ कि न आएगा पलट कर तू

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bharat malhotra
जानता हूँ कि न आएगा पलट कर तू
मैं एक मील का पत्थर हूँ और मुसाफिर तू
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मुझे यकीन है तुझको भी इश्क है मुझसे
ये और बात है करता नहीं है जाहिर तू
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तुझसे मिल के मेरी हस्ती ही मिट जाएगी
इक ज़रा-सी आबजू हूँ मैं, समंदर तू
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सामने रहता हूँ तो मुझको देखता भी नहीं
तनहाई में मुझे ढूँढता है अक्सर तू
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दर्द औरों का महसूस करना बंद कर दे
किसी रोज़ कहीं बन न जाए शायर तू
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भरत मल्होत्रा।
परिचय :- 
नाम- भरत मल्होत्रा 
मुंबई(महाराष्ट्र)
शैक्षणिक योग्यता – स्नातक 
वर्तमान व्यवसाय – व्यवसायी 
साहित्यिक उपलब्धियां – देश व विदेश(कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान – ग्वालियर साहित्य कला परिषद् द्वारा “दीपशिखा सम्मान”, “शब्द कलश सम्मान”, “काव्य साहित्य सरताज”, “संपादक शिरोमणि”  
झांसी से प्रकाशित “जय विजय” पत्रिका द्वारा ” उत्कृष्ट साहितय सेवा रचनाकार” सम्मान एव 
दिल्ली के भाषा सहोदरी द्वारा सम्मानित, दिल्ली के कवि हम-तुम टीम द्वारा ” शब्द अनुराग सम्मान” व ” शब्द गंगा सम्मान” द्वारा सम्मानित  
प्रकाशित पुस्तकें- सहोदरी सोपान 
                         दीपशिखा 
                         शब्दकलश 
                         शब्द अनुराग 
                         शब्द गंगा 

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