आईना

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vandana sharma
आईना जनाब गजब खेल दिखाता है
दाँये को बायां और बांये को दांया
सच को झूठ और झूठ को सच बताता है
ए!आईने सुन राज की बात बताती हूँ
यूँ ना इतरा सबका चहेता बनकर
आज मैं तुझे आईना दिखाती हूँ
अच्छा है तू या तो झूठ बोलता है
या चुप रहकर कहता है
अगर तू कुछ बोल पाता तो
यूँ मुस्काता हर वक्त नजरों के
सामने ना रह पाता
ये इंसान सच कहाँ सुनता है
कोई इसको आकार दे, इसको कहाँ गंवारा
ये तो अपनी शक्ल खुद बुनता है
इसके कितने चेहरे हैं तुम्हें क्या बताऊँ
हर एक पर नया मुखौटा है, कैसे दिखाऊँ
पर ए आईने!तूने भी गजब माया रचाई है
अपने तिलिस्म में इंसान को कुछ यूँ फँसाया
कि वो सच सामने देखकर भी सच को अपना ना पाया है
 वह आईने में सच कहाँ देख पाता है
वो तो वही देखता है जो वह देखना चाहता है
 अगर तू इंसान को केवल सच दिखाता
तो खुद को रसातल की अतल गहराइयों में
बेनाम बेपता ही पाता।
#वन्दना शर्मा
अजमेर(राजस्थान)
मेरा नाम वन्दना शर्मा है मैं अजमेर से हूँ मेरा जन्म स्थान गंडाला अलवर है मेरी शिक्षा हिंदी में स्नातकोत्तर बी एड है मेरे आदर्श मेरे गुरु और माता पिता हैंलेखन और पठन पाठन में मेरी रुचि है नौकरी के लिए प्रयास रत हूँ। मेरी रचनाएँ  कई पोर्टल पर प्रकाशित होती हैं मैं कई  काव्य समूहों में सक्रिय हूँ । अभी मैं मातृभाषा पोर्टल से जुड़ना चाहती हूँ पोर्टल के नियमों के प्रति प्रतिबद्धता मेरी प्रतिज्ञा है वन्दन 

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