Read Time45 Second

दीप जले..
मिटे अंधेरा
इस जग का
रोशन हो मन मंदिर
दीप जले…
खिले फूल
जीवन की बगिया में
लाने को खुशी मुख पर
बनमाली के..
दीप जले…
धरती उगले सोना
करे धान का वो बिछौना
हर्षाने हलधर का मन
दीप जले..
भरे पेट उनका
हैं जो भूखे ही सोते
जलाने को किसी गरीब का चूल्हा
दीप जले…
भूलें सारे शिकवे
बैठें हम सब मिलकर
मिटाने को कालुष मन की
दीप जले…
जलता रहे ये दीपक
लौ रहे ये दमकती
लाने को खुशहाली जीवन में
दीप जले…
#अनूप सैनी ‘बेबाक़’हिंदी व्याख्याता
Post Views:
649