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एक युग पूरा हुआ इक युगपुरुष के जाने से ,
वो था अटल चट्टान सा पिछले कई जमाने से।
रह राजनीति से लगा पर कृष्ण सा निर्लिप्त था,
बेदाग था इस देश के दागिल रहे तराने से।
ना हिंदु मुस्लिम सिख इसाई की जिसे दरकार थी ,
सब एक थे माँ भारती के एक ही घराने से ।
कुछ करने आया देश हित वो काम कर छिप सा गया,
वह सूर्य बनकर उग रहा था और लोग थे परवाने से।
देकर अणु परमाणु भारत को नया एक रूप दे,
नवनीत सा भारत बना उसके धरा पर आने से।
वह जा चुका तो देश उसको याद करके रो रहा,
रोए जमी आकाश भी सावन के ही बहाने से।
ना है मिला, मिल पाएगा ना उस अटल सा फिर अटल,
सब शोकमय होकर रहे एक मौत के फसाने से
वो था “शगुन” अनमोल पारस,देश भारत का रतन,
नही बन सकेगा स्वर्ण युवा अटल नग के जाने से।
#संजू चारण “शगुन”
परिचय-
संजू चारण “शगुन” जोधपुर राजस्थान से है, M A हिंदी, NET, शोध की छात्रा और वर्तमान मे राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग मे प्राध्यापक हिंदी के पद पर कार्यरत| कुछ गजले और कृष्ण भक्ति से संबंधित कुछ पदो की रचना की है|
‘कमल की कलम’ द्वारा चयनित 73 कविताओं में मेरी कविता ख्याल ए दिल भी शामिल की गई थी।
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