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बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122 1122 1122 22
फ़र्क हिन्दू में मुसलमाँ में बताना चाहें
असलियत में वो यहाँ आग लगाना चाहें।
नफरतों की ये लगी आग, बुझेगी कैसे
जब सियासत ही इसे और बढ़ाना चाहें।
दौर बदला तो यहाँ तौर, बदलते देखे
अब पड़ोसी भी कहाँ आग बुझाना चाहें।
खुद के भीतर हैं बसे राम, भुला सब बैठे
पर दशहरे में वो रावन को जलाना चाहें।
राजनीतिक हैं खतरनाक यहाँ मन्सूबे
धर्म ईमान को भारत से मिटाना चाहें।
रेडियो पर ही करें बात वो मन की साहिब
और मुद्दों से यहाँ ध्यान हटाना चाहें।
#आनंद कुमार पाठक
परिचय: आनंद कुमार पाठक का निवास शहर बरेली के शास्त्री नगर(इज़्ज़त नगर) में है। आपकी जन्मतिथि-४ फरवरी १९८८ तथा जन्म स्थान-बरेली(उत्तर प्रदेश)है। एम.बी.ए. सहित एम.ए.(अर्थशास्त्र) की शिक्षा ली है। नौकरी आपका कार्यक्षेत्र है। आपकॊ पढ़ाई में उत्कृष्टता के लिए स्वर्ण पदक मिलना बड़ी उपलब्धि है। लेखन का उद्देश्य-साहित्य में विशेष रुचि होना है।
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