कोई तो होगा जिसे हम अपना कहा सके /
दर्द दे दिल का हाल उसे, सुना सके /
और वो मेरे घावो पर हलकी सी मलम लगा सके /
और दर्द दे दिल के गम को वो मिटा सके/
और वो मुझे अपना बना सके /
क्या कोई ऐसा दोस्त हमें इस जहाँ में मिल पायेगा /
या फिर हम अपने को सदा ही अकेला मेहसूस करते रहेंगे /
और अपने किये हुए कर्मो के नाम पर, सिर्फ रोते रहेंगे /
और अपने दर्द भरी दस्ता को जग जाहिर करके/
इस जहाँ से अपने को अलविदा कहकर चले जायेंगे /
और दिल कि तमन्नाओ को दिल में ही दफ़न कर देंगे /
और बिन महूरत के इस जहाँ से रुकसाकत हो जायेंगे /
पर अपने प्यार को कभी भी बदनाम नहीं होने देंगे /
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।