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बस कुछ कर गुज़रना चाहता हूँ
ज़माने को बदलना चाहता हूँ
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जहां को रोशनी देने की खातिर
बनके शम्स जलना चाहता हूँ
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ठहर जाने का मतलब मौत ही है
मैं सारी उम्र चलना चाहता हूँ
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रगों में दौड़ते जोश-ओ-जुनूं से
नया इतिहास लिखना चाहता हूँ
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मरकर भी मैं अपने दोस्तों के
दिलों में ज़िंदा रहना चाहता हूँ
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लफ्ज़ हो जाते हैं सारे कहीं गुम
जब कोई शेर लिखना चाहता हूँ
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भरत मल्होत्रा।
परिचय :-
नाम- भरत मल्होत्रा
मुंबई(महाराष्ट्र)
शैक्षणिक योग्यता – स्नातक
वर्तमान व्यवसाय – व्यवसायी
साहित्यिक उपलब्धियां – देश व विदेश(कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान – ग्वालियर साहित्य कला परिषद् द्वारा “दीपशिखा सम्मान”, “शब्द कलश सम्मान”, “काव्य साहित्य सरताज”, “संपादक शिरोमणि”
झांसी से प्रकाशित “जय विजय” पत्रिका द्वारा ” उत्कृष्ट साहितय सेवा रचनाकार” सम्मान एव
दिल्ली के भाषा सहोदरी द्वारा सम्मानित, दिल्ली के कवि हम-तुम टीम द्वारा ” शब्द अनुराग सम्मान” व ” शब्द गंगा सम्मान” द्वारा सम्मानित
प्रकाशित पुस्तकें- सहोदरी सोपान
दीपशिखा
शब्दकलश
शब्द अनुराग
शब्द गंगा
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