” गुरु की महिमा “

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kaji
ज्ञान गुरु के बिना नहीं,
   गुरु की महिमा न्यारी है ।
रोशन है उनसे जीवन ये,
    बिन उनके दुनिया अंधियारी है ।।
गढ़ते फ़ौलाद, माटी से ये
     अज्ञान तमस हटाते हैं ।
मन की कंदराओं में गुरु,
       ज्ञान दीप जलाते हैं ।।
दिन विशेष का पर्व नहीं,
       जीवन भर का नाता है ।
 गुरु की महिमा गाने में तो,
        जीवन कम पड़ जाता है ।।

#डॉ.वासीफ काजी

परिचय : इंदौर में इकबाल कालोनी में निवासरत डॉ. वासीफ पिता स्व.बदरुद्दीन काजी ने हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है,साथ ही आपकी हिंदी काव्य एवं कहानी की वर्त्तमान सिनेमा में प्रासंगिकता विषय में शोध कार्य (पी.एच.डी.) पूर्ण किया है | और अँग्रेजी साहित्य में भी एमए कियाहुआ है। आप वर्तमान में कालेज में बतौर व्याख्याता कार्यरत हैं। आप स्वतंत्र लेखन के ज़रिए निरंतर सक्रिय हैं।

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