*कच्चे धागों का यह रिश्ता*

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prabhat dube
कच्चे धागों का यह रिश्ता,
जमीं-आसमान सा पक्का है।
बहन-भाई की प्रेम कहानी,
जीवन में एक बस सच्चा है।
टूटे ना सांसों से ये धागा,
जबतक जीवन गुलजार रहे।
जब कलाई पे बंधे ये धागा,
लगता कितना अच्छा है।
दूर रहे या रहे पास तुम,
हरदम दुआओं के दौर रहे।
हर एक नादानी पे कहती बहना,
भाई मेरा तो बच्चा है।
जबतक मेरी सांस चले,
ऐ ईश्वर बस इतना देना।
आबाद रहे सभी बहने,
बस इतनी सी ईच्छा है।
कहूँ मैं क्या पावन बंधन का,
इसका क्या मैं मोल करूँ।
बहने ऐसे होती हैं जो,
रिश्ते में लेती नहीं कभी परीक्षा है।
#प्रभात कुमार दुबे (प्रबुद्ध कश्यप)

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