#प्रीति पांडेयपरिचय:प्रीति पांडेयसाहित्यिक उपनाम- रश्मिराज्य- बिहारशहर- सासारामशिक्षा- एम. ए.कार्य क्षेत्र- शिक्षणविधा- वीर , श्रृंगार, अन्य भी..।
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तिमिर हुआ रुखसत रात का
स्वर्णिम भोर स्याह को हर ले
ऊषा झांक रही झुरमुट से
आ उसको बाहों में भर ले..
बीती जो बातें कल की थीं
आज को अपने उज्जवल करके.. ऊषा झांक रही…
स्वपन चुनौती गया है देकर
सच करने का साहस कर ले
ऊषा झांक रही..
तोड़ उदासी की जंजीरें
लब को मुस्कानों से तर ले
ऊषा झांक रही..
नवल धवल रवि के दर्पण में
नव उमंग से आज संवर ले
ऊषा झांक रही झुरमुट से
अा उसको बाहों में भर ले…!!
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One thought on “स्वर्णिम भोर”
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महंगी शादियों की शहनाईयां ….!!
अतिसुन्दर रचना है ।