आजादी का पर्व

0 0
Read Time3 Minute, 12 Second

babulal sharma
.                🌼  *1*  🌼
आजादी महंगी मिली, नमन् पन्द्रह अगस्त।
राज फिरंगी देश था,जन गण मन था त्रस्त।
जनगण मन था त्रस्त,संघर्ष, बलिदान दिये।
भारत  माँ  को  काट, भुजा दो  टूक  किए।
“लाल” लहू्  कर भेद, बीज  बोये बरबादी।
वतन  रहे  आबाद ,  रहे  अपनी आजादी।
.                🌼  *2* 🌼
जनतंत्र बड़ा  विश्व में, भारत  का है आज।
जागरूक  होकर  रहो, बना रहे  माँ  ताज।
बना  रहे  माँ  ताज, शहीदी  कभी  न भूलें।
गोली ,कैद, अनाम, भले  फाँसी  पर  झूले।
“लाल”सभी आबाद,संविधान वतन स्वतंत्र।
रहे  तिरंगा  शान, यह  अमर  रहे  जनतंत्र।
.                🌼  *3* 🌼
आजादी  सबकी भली , पशु पक्षी इंसान।
सूर्य चन्द्र जब तक रहें, दमके हिन्दुस्तान।
दमके  हिन्दुस्तान, धर्म  सब  पंथ  समाने।
जाति  के नही भेद, कर्म  से मनु  पहचाने।
कहे लाल कविराय,मिले यश की आबादी।
मिलकर करें प्रयास, रहे सबकी आजादी।
.                 🌼 *4* 🌼
आजादी  का  पर्व  है, छाई  खुशी  अपार।
जनगणमन उत्साह है,निज जनतंत्र प्रसार।
निज जनतंत्र प्रसार,विश्व में गुरु भारत हो।
सोन  चिरैया  मान, हमारे  हर  कारज  हो।
कहे लाल कविराय, शत्रु की  कर बरबादी।
रख शहीद सम्मान, बचाएँ  निज आजादी।
.                🌼  *5* 🌼
अगस्त माह पन्द्रह तिथि,सन सैंतालिस याद।
अपना प्रिय भारत वतन,तभी हुआ आजाद।
तभी   हुआ  आजाद, तिरंगा  तब  लहराया।
चले   गये   अंग्रेज ,  भारती   मनु   हरषाया।
“लाल” किले पर होय, आनंद मोद अलमस्त।
घर घर  उत्सव होय, आत ही  पंद्रह अगस्त।
.                🌼  *6* 🌼
आजादी  हित  प्राण थे, दीन्हे  वीर  गँवाय।
यादें उनकी करत ही, नयन अश्रु छलकाय।
नयन अश्रु छलकाय, शहीदी  लख कुर्बानी।
वतन के खातिर  जां, लुटाई चढ़त  जवानी।
“लाल” लहू का भोग,  भारती माँ  आराधी।
कोटिश नमन हमार,जान दी हित आजादी।
.                   🌼🇮🇳🌼

नाम- बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

अपनी कलम से

Thu Aug 16 , 2018
तेरी याद हर पल रुलाती है माँ । मुझे तूँ बहुत याद आती है माँ । बहुत ही मैं बेचैन रहता हूँ तब तो , कहीं दूर मुझसे जो जाती है माँ । सुबह साथ में चाय की प्यालियों के , सदा प्रेम दर्शन कराती है माँ । दुआ तेरी […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।