ख्यालो में मिले वो 

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sanjay
सवाल का जवाब सवाल में ही मिला मुझे …….!
वो शख्स मेरा ख़्याल था, ख़्याल में ही मिला मुझे !!
फिर भी न जाने ये दिल, क्यों यहाँ वहां पर भटकता है !
जबकि मुझे पता है,
मेरे ख्यालो का राजा, मुझे ख्यालो में ही मिलता है !!
गमे ख्यालो को हम वरदास, कर नहीं पते !
फिर कभी अपने प्यार का, इजहार कर नहीं पते !
डूब जाते है, ऐसे सपनो की दुनियां में !
जहाँ से हम तैयाकर भी, वापिस नहीं आ पते !!
जब जब खुदा ने, मुझसे ख्यालो में पूछा !
क्या चाहते हो, तो मेरी तमन्नाये कहने लगी !
की बस मेरे ही ख्यालो में, उनके दीदार हो जाये !
और जब मुझे सही में, उन से प्यार हो जाये !
तो मेरा हम सफर बनकर मेरे साथ हो जाये !!
ख्यालो की बनाई दुनियां !
अब हकीकत में बदल गई !
जो ख्यालो में था, मेरा हम सफ़र !
वो हकीकत में, मेरे साथ हो गए !
साथ हो गए, साथ हो गए !!

#संजय जैन

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

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