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पढ़ती और पढ़ाती बेटी।
शिक्षित समाज बनाती बेटी।
होती है मां की प्यारी वह,
कभी नहीं घबराती बेटी।।
पिता का सम्मान है बेटी।
माता का अरमान है बेटी।
भाई-बहनों की प्रिय साथिन,
घर-आंगन की शान है बेटी।।
लक्ष्मी पन्ना पद्मिनी है बेटी।
सत्साहस की धनी है बेटी।
सुदूर अंतरिक्ष में जाकर,
कल्पना सम बनी है बेटी।।
मुरली की धुन-तान है बेटी।
और कभी अजान है बेटी।।
#असिया फारूकी
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