हे नारी शक्ति ,
आज स्वतंत्र हो तुम।
पढ़ लो जितनी चाहे शिक्षा,
आज नहीं देना पड़ती
सीता की भाँति अग्नि परीक्षा।
चढ़ो हिमालय की चोटी पर,
अपना तिरंगा लहराओ।
जुड़ कर ईसरो से,
चाँद पर जा
अपना परचम फहराओ।
या फिर मदर टेरेसा बन
करो दीन-हीन की सेवा,
या शबरी की भाँति भक्ति कर
खुश कर लो तुम देवा।।
शिक्षा,स्वास्थ्य,राज्य,वित्त हो,
हर जगह तुम्हें है मौका.
हॉकी,रेसलिंग,टेनिस,बेडमिंटन,
या क्रिकेट में लगाओ चौका।
पैरों पर खड़ी हो जाओ,
माँगो न कहीं तुम भिक्षा,
आज नहीं देना पड़ती,
सीता की भाँति अग्नि परीक्षा।
#रामशर्मा ‘परिन्दा’
परिचय : रामेश्वर शर्मा (रामशर्मा ‘परिन्दा’)का परिचय यही है कि,मूल रुप से शासकीय सेवा में सहायक अध्यापक हैं,यानी बच्चों का भविष्य बनाते हैं। आप योगाश्रम ग्राम करोली मनावर (धार, म.प्र.) में रहते हैं। आपने एम.कॉम.और बी.एड.भी किया है तथा लेखन में रुचि के चलते साहित्य