नीरज

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गीतों में दर्द जो गा गये तुम
रुहानी अहसास जगा गये तुम
तड़प थी एक अदद प्रेम की
मिटा खुद ,दुनिया सिखा गये तुम
छिपे गये हो श्यामल घन बीच
सबाल बन तुम अब खड़े हुये
खोजूँ कहाँ वो उत्तर अब मैं
अनुत्तरित बन तुम अड़े हुये।
कुछ सवाल कभी उठे ही नहीं
कुछ जबाब कभी मिले ही नहीं
जहाँ से चले गये तुम छोड़ कर
कीचड बिन नीरज खिले ही नहीं ।
सोचा हाथ पकड़ कर रोक लूँ
उंगलियों से ये दामन थाम लूँ
चाहा जो ,कभी हुआ ही नहीं
धूम्र रहित गगन ,पी जाम लूँ ।
अहसास प्यार का जो हुआ
हाथ बढ़ा  तुझे थाम लिया
अंजाने बन गये धड़कन तुम
लाज से भरे नयन ,जब नाम लिया।
#मनोरमा जैन पाखी

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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