अब न पछताओगी तुम हमसे मिल के

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अब न पछताओगी तुम हमसे मिल के,
हमने भी होठ सी लिए है तुमसे मिल के।।

अब न मिलेगे तुमसे अब कभी दुबारा,
करीब न आयेगे अब तुम्हारे दिल के।।

उम्मीदों के फूल जो लगाए थे दिल में,
मुरझा जाएंगे हर बार खिल खिल के।।

पड़ा था तेरे आगोस में जब मौत मेरी आई,
अब न उठूंगा मैं चाहे रो मिल मिल के।।

कर लो जितनी कोशिश ये दिल न धड़केगा,
ये धड़कने बन्द हो जाएगी जरा ही हिल के।।

रस्तोगी कभी न आयेगे तेरे अब दर पे,
चाहे रो लेना जितना मुझसे गले मिल के।।

आर के रस्तोगी,
गुरुग्राम

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