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पतली दुबली सी
टेढ़ी मेढ़ी
नागिन सी बल खाती
गांव की पगडण्डी
चिकनी मिट्टी काली
पैर फिसलते मेरे
कभी दायां कभी बायां
रिमझिम रिमझिम
मेहा खूब बरसे
पाठशाला का था
प्रथम दिवस
मन में नव उल्लास
नव उमंग
नव जिज्ञासा
नव आशा
हिलोरें ले रही
मन ही मन
कैसी होगी
नई पाठशाला
कई प्रश्न
उठते
चला जा रहा
पैदल पैदल
आखिर गाँव
नज़र आया
लेकिन यह तो
मेरा गाँव नहीं
ग्रामीण बोले
सुंदर सुंदर खेत
सुंदर पहाड़ियां
आसमान को छूती
आखिर पहाड़ी आई
उसकी तलहटी में
सुंदर सा गाँव
एक अच्छी पाठशाला
मेरा पहला कदम
कर्ण फुहारों में
गूंजते बच्चों के स्वर
आज भी याद है
मेरी पाठशाला के
वो प्यारे गाँव के
साहसी बच्चे
ईमानदार कर्मठ
सीधे सादे भोले बच्चे
तुतलाती जुबान से
कविता गीत
जोर जोर से
बोलते बच्चे
मिलजुलकर
आगे बढ़ते बच्चे
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।
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Fri Jul 6 , 2018
मुझे गुम हाे जाने दाे आशाआें के जंगल में । वाे जंगल जहाॅं सूरज की किरणें पत्तियाें से छनकर आती हैं .. जाे दिखाता हैं रास्ता मेरे चलते हुए कदमाें काे मैं आतुर हाे जाती हूॅ बहुत सारी इक्छाआें काे मन में संजाेए […]