मै जिन्दा हूँ

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babulal sharma
सितारे साथ होते तो
सोचो क्या दिशा होती
सभी विपरीत ग्रह बैठे
मगर मैं फिर भी जिन्दा हूँ।

पटका आसमां से हूँ
जमीं ने मुझको झेला है
मिली है जो रियासत भी
नहीं,खुद से शर्मिन्दा हूँ।

न भाई बहन मिलते है
न सगे सम्बन्धी मेरे तो
न पुख्ता नीड़ बन पाया
मै, बेघर ही परिन्दा हूँ।

किया जाने कभी क्या
कोई सद कर्म मैने भी
हवा विपरीत मे भी तो
मै सरकारी करिंदा हूँ।

मेरे न ठाठ ऊँचे है
न मेरी राह टेढी है
न धन का दास हूं
मै,गुर्बत का चुनिंदा हूँ।

सभी तो रुष्ट हैं मुझसे
मै राजी किसे रखता
सभी सज्जन हैं प्यारे
मैं दुष्टों हित दरिंदा हूँ।

न बातों में सियासत है
न सीखी ही नफ़ासत है
न तन मन में नज़ाकत है
गँवई,गांवों का वशिन्दा हूँ।

नहीं विद्वान भाषा का
न परिभाषा ही पहचानूं
बड़े अरमान न सींचे
न संस्कारी पुलिन्दा हूँ।

सभी कमियाँ बतादी हैं
मगर एक बात है मुझमें
मैं जैसा भी जहां भी हूँ
मैं,भारत का रहिन्दा हूँ।

अपने देश की माटी
ये बलिदानी परिपाटी
का बेटा मैं जाइन्दा हूँ
इसलिए मैं, जिन्दा हूँ।

मरे ये देश के दुश्मन
अपने भी पराये भी
वतन पर घात जो करते
उन्हीं की लोक निन्दा हूँ।

मुझे न जाति से मतलब
न मजहब से किनारा है
पंथ विश्वास से हटकर
मैं, ही बैरागी बंदा हूँ।

वतन है जान से प्यारा
हिफ़ाजत की तमन्ना हूँ
करे जो देश से धोखा
उन्हें,फाँसी का फंदा हूँ।

न समझे कोई भी शत्रु
देश को तोड़ देने की
वतन मजबूत है मेरा
नुमाइंदा मैं जिन्दा हूँ।

नाम- बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

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