प्रेम

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rituraj
हम हैं-
तो जीवन है
क्या मैं हूँ- क्या तुम हो
बिन तेरे मैं क्या हूँ….
बिन मेरे क्या तुम हो?
नहीं ! तो क्या सच में जीवन है?
रहें क्यों हम उलझन में..
पीड़ सहें क्यों मन में
हम हैं तो सब रंग है
वरना–
“मैं” क्या.. “तुम” क्या —
सब बेरंग हैं।
मैं कहाँ बसता हूँ मुझमें
तुम कहाँ बसते हो तुझमें
जब-
मैं तुझमें दिखता हूँ और
तुम मुझमें दिखते हो—तब
मन पुलकित हो जाता है
और
प्रेम का घिर जाता घन है
तब लगता ये जीवन है
आह! हर्षित होता हर मन है।
हम हैं-
तो जीवन है।
नाम- ऋतुराज 
साहित्यिक उपनाम- राज
राज्य- बिहार 
शहर- मुजफ्फरपुर 
शिक्षा- MBA
कार्यक्षेत्र- निजी क्षेत्र की नौकरी में जोनल मैनेजर
विधा – मुक्तक/छंद-मुक्त 
प्रकाशन- नवोदित साहित्यकार मंच के द्वारा प्रकाशित शुभमस्तु 5 में। 
 लेखन का उद्देश्य- शौक

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।