बूढ़ी माँ

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अपनी बूढ़ी माँ पर,
जरा प्यार लुटा देना।
अब तक जो लुटाया उसने,
अब तुम भी लुटा देना।

ममता का है सागर,
माँ प्रेम की है मूरत।
करके पूजा उसकी,
आशीष तू पा लेना।
अब तक जो लुटाया उसने,
अब तुम भी लुटा देना।

सींच रक्त से अपने,
तुझे वक्षामृत पिलाया।
दे के सहारा माँ को,
फर्ज अपना निभा लेना।
अब तक जो लुटाया उसने
अब तुम भी लुटा देना।

रातों जागी है माँ,
तेरी नींद खातिर।
अब उसको सुलाने को,
खुद को जगा लेना।
अब तक जो लुटाया उसने,
अब तुम भी लुटा देना।

थाम के उँगली तेरी,
तुझे चलना सिखाया।
उसकी लाठी बनकर,
धर्म अपना निभा लेना
अब तक जो लुटाया उसने,
अब तुम भी लुटा देना।

खुद भूखे रहकर,
तुझे खाना खिलाया।
अपने हाथों से अब,
माँ को खिला देना।
अब तक जो लुटाया उसने
अब तुम भी लुटा देना।

गीता कुरान माँ है,
जीवन का सार माँ है।
पढ़कर उसकी आँखें,
कल अपना सजा लेना।
अब तक जो लुटाया उसने,
अब तुम भी लुटा लेना।

स्वरचित
सपना (स० अ०)
जनपद – औरैया

matruadmin

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