आज मन की बातें उठे विचार .
भारत हिंदुस्तान बना.
अखंड भारत को हमने सिन्धु प्रान्त माना.
विदेशी जो भी दें , उसे मानना ही हमारा गर्व.
माँ को मम्मी,
पिता को डैडी यह सीखने २५०००/ साधारण स्कूल में.
बच्चा भूल से पिता कहें , तो पच्चीस हज़ार बाढ़ में..
दिल्ली दिल छोड़ डेल्ही कहें तो चतुर .
हिंदुस्तान इण्डिया बन गया..खुश,
नतीजा भारतीय शुद्ध भाषा में
बिना मिलावट के बोलना गंवार.
आ सेतु हिमाचल, अब बन गया
मजहबी संघर्ष भूमि.
कदम कदम पर मंदिर ,मस्जिद ,गिरिजा घर.
जितने देवालय बढ़ते उतने ही मनुष्यता बढ़ती
पर स्वार्थ मजहबी नेता तोड़ देते एकता.
आपस में लड़वाकर आचार्य/मौलवी/पादरी
बैठ जाते स्वर्ण आसन पर.
आम जनता धर्म को लेकर लड़ते,
पर देवालयों के मुखिया की कोई चिंता नहीं ,
वह तो दिन ब दिन अम्बानी सम साधुसंत
बन्ने होड़ लगाता.
बेचारा भक्त बिना खाए ,पिए ,भोगे
हुंडी में डालता
अपनी मेहनती कमाई.
पर नहीं भगवान् पर अटल विश्वास
जितना रखते पुजारी, मौलवी ,पादरी दलाली पर.
वे अपने अपने ईश्वर को ही बड़ा कह
चिढाता, छेड़ता, लड़ाता ,
मौज में अपने सपनों का साकार बनाता.
जागो जागो भक्तो ,
भगावन पर रखो भरोसा.
भक्ति सिखाती इंसानियत , अहिंसा भाई चारा,
भक्ति के नाम लड़ना लड़ाना बेवकूफी जान.
सीधे भगवान से ,खुदा से ,गाड से संपर्क रखो.
ये बीच के दलाल अपने पेट भरने ,सप्पत्ति जोड़ने
आदिकाल से लड़ते ,लड़ाते. लड़वाते
अपने स्वार्थ साधना में लगते रहते.
बुद्धिमान ,चतुर ,होशियार बनो.
इन मानव मानव में लड़वाने के दलालों से बचो.
#सेतुरमण आनंदकृशनन