हर रात अंधेरे से महज़ कहने को है,वह अंधेरा तो सूर्यास्त किए बैठा है।इस अंधेरे से चाँदनी की आस मुमकिन है,वह अंधेरा तो चाँदनी छुपाये बैठा है।। इस अंधेरे में रात की नींद है नाज़िल,वह अंधेरा तो दिन में सुलाये बैठा है।इस अंधेरे में सपने सजोये जाते है,वह अंधेरा तो […]