हुआ चराचर मुग्धमन,सुन बंशी की तान। कान्हा की छेड़ी मृदुल,ध्वनि जब पहुंची कान॥ पूछे यमुना की विकल,लहरों का संगीत। विकल प्रतीक्षा तक गई,कब आओगे मीत॥ वंशी अब रख दो उधर,अरिमर्दन अभिराम। चक्र सुदर्शन हाथ में,फिर से लो घनश्याम॥ मोह चराचर को लिया,लीला ललित दिखाय। यमुना-तीर तमाल तरु,मुरली मधुर बजाय॥ […]