व्यंग्य मॉर्निंग वॉक के वे आदी हैं। कोहरे की परत वाली ठंड में भी वे आर्मस्ट्रॉन्ग की तरह लदे चले आए। बोले- ‘निकलो भी रजाई से।’ मैंने कहा- ‘इस बार तो ठंड बर्फानी-सी है। बिस्तरस्थ रहना ही बेहतर है।’ शरीर पर तीन-चार गरम कपड़े, सिर पर मोटा-सा टोपा और गले […]