ये किताब नहीं ये मित्र हैं हमसब की इन्हें सहेज कर रखिए अपना हृदय समझ कर इक्कीसवीं सदी है इनके इस रूप के साकार की फिर ये नहीं मिलेगी पुस्तकालयों में, बैठकों में, बच्चों के बस्तों में , दराजों में भी इन्हें ढूंढ़ते रह जाओगे… इन्हें पाने के लिए गूगल […]