साथ तेरे मैं कैसे रहूंगी सदा, प्रीत में उलझनें तो बहुत देखी हैं, कैसे बरखा करूँ जुल्फ की छाँव की.. तोड़ दूँ बेड़ियां किस तरह पाँव की, बात करते हो मधुवन की तुम तो सदा.. मैंने आँखों के सावन बहुत देखे हैं। साथ,कैसे बन्द प्रीत की खिड़कियाँ खोल दूँ, तुझपे […]