जब से भावनाओं ने शब्द धारण किए, तब से अंतस तल में शुभ हेतु गूँजती रही जो प्रार्थनाएँ वो अब भी हैं, मेरे भीतर के अंधेरे-उजाले में सधती,मंत्र-सी होती। जिसमें धीमे-धीमे समय के साथ जुड़ते रहे कुछ नाम, जो ज़ेहन में सगों की तरह बेहद घनिष्ठता,अभिन्नता और आस्था से हुए। […]