हम यूँ कैद हुए लम्हों की बस्ती में, जैसे शाम दरख्तों की परछाइयों मेंl धीरे-धीरे सूरज ढलने लगा संध्या सजी वृक्ष पल्लवों में, रात रानी हुई,महकने लगी पूनम का चाँद मुस्कुराने लगाl चाँदनी का आँचल लहराया, जमीं पे जुगनू जगमगाने लगे तारों की महफ़िल आसमाँ पर, बादल गीत खुशी के […]