आपसे मिलिए,आप हैं श्री लच्छू उस्ताद…जाति से ब्राम्हण, बरसों से चुंगी नाके की नाकेदारी करते-करते सभी को निकट से पहचान लिया है इन्होंने। चेहरा अब भी रोबीला,मूंछों पर वही ऐंठन और ठसक ऐसी कि,क्या कोई थानेदार रखेगा ? जबान पर लगाम है,मन पर काबू हैl दसवीं किताब उस समय की […]