एक नन्हीं-सी कली थी, गर्त में कबसे पड़ी थी पास में बस खार था, बेरहम परिवार था पथिक एक पथ पर मिला है… आज मन उपवन खिला है। धूल,वर्षा सब सही थी, टूटकर फिर से खिली थी कोई भी मंजिल नहीं थी, राह में मुश्किल बड़ी थी नव सृजन फिर से […]

मीलों कोई छांव नहीं, बागों वाला गांव नहीं, पोखर,नहर, कुएं, रीते-रीते देखे हैं हरे भरे पेड़ काट, धरती को लिया बाँट,  खेतो में ट्यूबवेल खाली लगे देखे हैं। पर्वतों को काट-काट, बना दिए रेल मार्ग, धरती डगमगाती, भूकंप आए देखे हैं। वृक्ष को लगाओ आज,  धरती श्रृंगार करे, फूल-फल अंग […]

मैं तपती धरती हूँ प्रियतम, तुम पावस की हो जल धार मिल जाए गर नेह तुम्हारा मना लूं मैं भी एक त्यौहार। जब-जब खिली चांदनी छत पर, तारों संग बारात लिए चुनर डाल चली सिर ऊपर शरमाई मधुमास लिए पायजेब ही शोर मचाए सौतन-सा करती व्यवहार।मिल जाए….।। छोटी-सी बदली ने […]

भारती के पुत्र आज, लेखनी उठा के हाथ अपने शहीदों को, सलाम लिख दीजिए। दुश्मनों के संग-संग, होली खेले लाल रंग, ऐसे वीर सैनिकों का नाम लिख दीजिए। खून से से भरे जो मांग, शोले-सी छुपाए आग, ऐसी मातृ शक्ति को प्रणाम लिख दीजिए। देश मे छुपे हैं जो, आतंक […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।