भारती के पुत्र आज,
लेखनी उठा के हाथ
अपने शहीदों को,
सलाम लिख दीजिए।
दुश्मनों के संग-संग,
होली खेले लाल रंग,
ऐसे वीर सैनिकों का
नाम लिख दीजिए।
खून से से भरे जो मांग,
शोले-सी छुपाए आग,
ऐसी मातृ शक्ति को
प्रणाम लिख दीजिए।
देश मे छुपे हैं जो,
आतंक के हितैषी
खास ऐसे देशद्रोही को
विराम लिख दीजिए।।
#प्रमिला पान्डेय
परिचय : उत्तरप्रदेश के कानपुर से प्रमिला पान्डेय का नाता है। आप १९६१ में जन्मी और परास्नातक (हिन्दी)की शिक्षा ली है। लेखन में गीत,ग़ज़ल, छंद,मुक्तक और दोहे रचती हैं। हिन्दी गद्य में साहित्यिक उपन्यास(छाॅहो चाहति छाॅह)आ चुका है। आपने साहित्य गौरव सम्मान,सशक्त लेखनी सम्मान आदि पाए हैं।