झूमि-झूमि-झूमि कारी-कारी कजरारी घटा, बूँद – बूँद डारि हिय आगि धरने लगी। दादुर, मयूर-धुनि सुनि-सुनि हाय राम, प्रेम नगरी की गली-गली जरने लगी।। मैं तो रही भोरी, ये अनंग बरजोरी देखु, धीरे – धीरे सारी कुलकानि हरने लगी। पपीहा की पीउ – पीउ, पीउ की पुकार सुनि, मोरे अंग – […]