काश! मैं इस नीरव आकाश तले स्वतंत्र विचरण कर पाती काश! यह निर्बाध समीर मेरी देह को मृत्युंजयी स्पर्श दे पाता काश! रात्रि की गोद में बैठ गंगा लहरियों की स्वच्छंद जलक्रीड़ाएं महसूस कर पाती काश! चांद की चंचल चंद्रिकाएं मेरे कपोलों से मनोनुकूल खेल पाती काश! आकाश का शीतल […]