काँव-काँव,मची हर ओर, वाक़ई बहुत,बढ़ा है शोर..। अज़ान या आरती से नहीं, घण्टा शंख ध्वनि से नहीं.. पवित्र गुरुवाणी से नहीं, किसी की प्रार्थना से नहीं.. इसका कारण है कुछ और, वाक़ई बहुत,बढ़ा है शोर…। कलयुग के कल-कारखाने, कल-कल करते रहते हैं। चौड़ी सड़कों पर सब वाहन, चीं पों करते […]

ए दिल बता,मेरी ख़ता क्या है, सोचता क्या है,आखिर तेरी रज़ा क्या है। राज़ है कोई,जो छुपा रखा है तूने। बता तो सही,आख़िर माज़रा क्या है।। एक अरसे से,लिखना चाहते थे, दिल के जज़्बातों को कलम से। पर जब लिखने बैठे,तो सोच में पड़ गए, आखिर लिखना क्या है।। क्यूँ […]

  चाँदनी  रात  के   दामन   से  सितारा लेकर, कोई आया है मेरे  घर में उजाला लेकर। आग  दुनिया  में  लगाने  के  लिए काफ़ी हैं, अश्क ठहरे हैं जो पलकों का किनारा लेकर। इश्क़ परवान  चढ़ेगा कि नहीं रब जाने, हम तो निकले हैं मुहब्बत का इरादा लेकर। टाल देते हैं […]

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सभ्य समाज या सभ्य परिवार मनुष्य की जिंदगी को कहाँ तक प्रभावित करता है?..इसका उत्तर है कि,एक सभ्य परिवार ही सभ्य मनुष्य का उत्पादन केन्द्र है। मनुष्य के अंदर ऐसी शक्ति पाई जाती है,जो लोगों को चकित कर दे,वह उसके परिवार की ही देन है। मनुष्य जो कुछ भी सीखता […]

प्रीत के उपवन में, मिलन का मधुमास है। खिल रही कली-कली, सुगंध की सुवास है।। ह्रदय में मचल उठी, सोई-सी प्यास है। नयना मतवारे हुए, प्रेम लिए आस है।। मादकता बरस रही, भाव का विलास है। मचल उठी चंचल-सी मोह की मिठास है।। मिलन की रितु छाई, महक लिए मास […]

ज़ाम छलकाने पर ज़ाम लगने की खबर पढ़ते ही हमारे पड़ोस के काका जिनके रात्रि के कार्यक्रमों(करतूतों) से सारा मोहल्ला मनोरंजन करता था,उनके घर में सन्नाटा-सा छा गया।हम काका की ख़ामोशी से विचलित होकर उनके हाल-चाल लेने उनके घर जा पहुंचे। काका गुमसुम-से खटिया पर निढाल पड़े थे। हमने जय […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।