मुड़-मुड़कर वो आवाज लगाती आहिस्ता-आहिस्ता, फिर मुझे देख कर वो यूँ शर्माती आहिस्ता-आहिस्ता। सखियों से पूछा करती थी वो अक्सर मेरी कुशलक्षेम, बस अपने दिल का हाल छुपाती आहिस्ता-आहिस्ता। हल्की बारिश,मीठी सी छुअन,एहसास भुला न पाई वो, मुझ से मिलने की जुगत लगाती आहिस्ता-आहिस्ता । ईमान,वफ़ा,संग,क़स्मे,वादे,बीते पल सब हैं याद […]