रश्मिरथी अरुण जैमिनी: हास्य के रंग में साहित्य की किलकारी डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ सरकारी कार्यालय में नौकरी मांगने पहुँचा तो अधिकारी ने पूछा “क्या किया है” मैंने कहा- “एम.ए.” वो बोला- “किस में” मैंने गर्व से कहा- “हिन्दी में” उसने नाक सिकोंड़ी “अच्छा… हिन्दी में एम.ए. हो बड़े बेशर्म हो अभी तक […]