रश्मिरथी
अरुण जैमिनी: हास्य के रंग में साहित्य की किलकारी
डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’
सरकारी कार्यालय में
नौकरी मांगने पहुँचा
तो अधिकारी ने पूछा
“क्या किया है”
मैंने कहा- “एम.ए.”
वो बोला- “किस में”
मैंने गर्व से कहा- “हिन्दी में”
उसने नाक सिकोंड़ी
“अच्छा… हिन्दी में एम.ए. हो
बड़े बेशर्म हो
अभी तक ज़िन्दा हो
तुमसे तो
वो स्कूल का लड़का ही अच्छा था
जो ज़रा-सी हिन्दी बोलने के कारण
इतना अपमानित हुआ
कि उसने आत्म-हत्या कर ली
अरे
इस देश के बारे में कुछ सोचो
नौकरी मांगने आए हो
जाओ भैया!
कहीं कुआँ या खाई खोजो”
मैंने कहा-
“हिन्दुस्तान में रहते
हिन्दी का विरोध
हिन्दी के प्रति
इतना प्रतिशोध”
वो बोला-
“यह हिन्दुस्तान नहीं
इंडिया है
और हिन्दी
सुहागिन भारत के माथे की
उजड़ी हुई बिन्दिया है
तुम्हारे ये हिन्दी के ठेकेदार
हर वर्ष
हिन्दी-दिवस तो मनाते हैं
पर रोज़ होती हिन्दी हत्या को
जल्दी भूल जाते हैं।”
-अरुण जैमिनी
22 अप्रैल 1959 को जन्मे अरुण जैमिनी को कविता की समझ और कविता की प्रस्तुति का कौशल विरासत में मिला। पारिवारिक माहौल में कविता इतनी रची बसी थी कि कब वे देश के लोकप्रिय कवि हो गए, पता ही न चला। आपके पिता श्री जैमिनी हरियाणवी हिन्दी कविता की वाचिक परम्परा में हास्य विधा के श्रेष्ठ हस्ताक्षर माने जाते हैं। उन्हीं की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, हरियाणवी लोक शैली को आधार बनाकर विशुद्ध हास्य से ज़रा-सा आगे बढ़ते हुए व्यंग्य की रेखा पर खड़े होकर आप काव्य रचना करते हैं। मंचीय प्रस्तुति और प्रत्युत्पन्न मति के आधार पर आप हास्य कविता के वर्तमान दौर की प्रथम पंक्ति में खड़े दिखाई देते हैं।
हास्य की फुलझड़ियों के माध्यम से घण्टों श्रोताओं को बांधने का हुनर आपके व्यक्तित्व का प्रमुख अंग है। बेहतरीन मंच-संचालन तथा तर्काधारित त्वरित संवाद आपके काव्य-पाठ को अतीव रोचक बना देता है।
आपकी विधिवत शिक्षा स्नातकोत्तर तक हुई। पूरे भारत के साथ ही विदेशों में भी दर्जनों कवि-सम्मेलन में आपने काव्य पाठ किया है। ओमप्रकाश आदित्य सम्मान और काका हाथरसी हास्य रत्न पुरस्कार के साथ अनेक पुरस्कार व सम्मान आपके खाते में दर्ज हैं। आपका एक काव्य संग्रह ‘फ़िलहाल इतना ही के नाम से बाज़ार में उपलब्ध है। हास्य के पाताल से प्रारंभ होकर दर्शन, राष्ट्रभक्ति और संवेदना के चरम तक पहुँचने वाला आपका बौद्धिक कॅनवास आपको अन्य हास्य कवियों से अलग करता है।
अरुण जैमिनी
रस – हास्य रस
अनुभव – ३ दशकों से अधिक
निवास- नई दिल्ली