मां जैसा कहीं प्यार नही है,, मां के आगंन सा कोई ससांर नही है,, बेटे फिर भी पास है रहते,, क्यूं बेटी का मां पर अधिकार नही है,, भारी पीड़ा भी बेटी ” मां ” से कह देती है, फिर बेटी से विरह को मां कैसे सह लेती है,, मां […]

जिसको छुप छुप मैं तकती थी,,जिसपे सच मुच मैं मरती थी,, जिसकी आहें मैं भरती थी,,जिसकी चिट्ठीयां मैं पढ़ती थी,, ये तो वही दिवाना है, ये तो वही दिवाना है,, जिसकी बातों में जादू था,,दिल जिसके लिए बेकाबू था,, जिसकी आखों में रव़ानी थी,,जिसकी मैं दिवानी थी,, ये तो वही […]

मेरे घर में खुशींया छाई, और मन हर्षाया है,, मैनें लड्डू गोपाल जबसे तुमको चाहा है,, राधा सी प्रीत भी होती है, मीरा सी लगन भी लग जाए,, हार भी जीत सी होती है, धरती से गगन जब मिल जाए,, मन पावन हो जाता है, कान्हा से लगन जब लग […]

बड़ा ख्वाब नही मेरा, बस इतनी सी गुजारिश़ है,, किसी का दिल ना दुखाऊ मैं, बस इतनी सी ख्वाहिश़ है,, पाया भी बहुत मैनें, खोया भी बहुत कुछ है,, मंजिल को पाने को , बोया भी बहुत कुछ है,, रिश्तें निभाने को , खुद की आजमाईश है,, बड़ा ख्वाब नही […]

वो हरा दुपट्टा उसका, जिसपे फूलो की फुलकारी थी,, जिसके इश्क़ में पागल थे , वो लड़की बड़ी सुहानी थी,, उसके हुस्न के चर्चों से गलीयों में शोर शराबा था,, उसकी चाहत पाने को हर आशिक़ का इरादा था,, जिसके यौवन के कायल सब, वो राणा की दिवानी थी,, जिसके […]

एक होली आज भी है,, एक होली वो भी थी,,, अब साथ नही है जो,, तब हमजोली वो भी थी,,, उसके गाल गुलाबी को तब रंगो से हमने रंगा था,,, उसके होठो के गुलकंद को, अधरो से जब चखा था,,, उसके योवन का रंग हम पर कुछ ऐसे चढ़ गया […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।